नेटिव हिन्दू धर्म का रंग है पीला , विदेशी ब्राह्मण धर्म का रंग है काला :
नेटिव हिन्दू धर्म का रंग पीला ,सोनेरी , सोने जैसा है पर विदेशी ब्राह्मण धर्म का रंग है काला। विदेशी ब्राह्मण धर्मी आरएसएस का रंग भी सही मायने में और काम के हिसाब से काला ही है।
हिन्दू समाज , हिंदुस्तान , हिन्दू धर्म में पिले रंग का विशेष महत्त्व है। सोना , सोने का रंग , हल्दी का नेचरल रंग पीला ही है यहाँ तक सूर्य के किरणे भी पिली आभा के होते है इस लिए हिन्दू सूर्य उपासक भी है और हल्दी का प्रयोग शुभ या मंगल कार्य में अनिवार्य है। हिन्दू जब शादी करते है तो हल्दी का कार्यक्रम किया जाता है जिस में सभी भाग लेते है। दूल्हे , दुल्हन को शादी के पहले हल्दी लगायी जाती है उन्हें हिन्दू बनाया जाता है। शिव भक्त भी हल्दी का भंडारा यानि माथे पर तिलक लगते है , औरते भी हल्दी और सूखे हल्दी से तैयार कुमकुम का प्रयोग अपने शादी शुदा , ग्रहस्ती होने के कारण कराती है और आने जाने वाली शादीशुदा औरतो को हल्दी कुमकुम लगा कर उनके सौभाग्य की मंगल कामना करती है। साउथ में पीला धागा सौभाग्य का प्रतिक है जो शादीशुदा महिलाये पहनती है और जो महिलाये मंगल सूत्र पहनी है वह भी काम से काम दो सोने के मणि जो पिले होते है जरुरी होता है।
हमारे हिन्दू भाई जब महादेव अर्थात भोले शिवशंकर की यात्रा को जाते है तब भी उनके झोले का रंग पीला ही होता है जिसे खरी कहा जाता है।
पीताम्बर , पिले रंग की धोती खास आयोजन पर हिन्दू पहनते है। कुछ बुद्धिस्ट , जैनी , सिख भी अब उनके रंग के साथ पीला रंग पसंद करते है जिसे बुद्धिस्ट भगवा , जैन सफ़ेद , सिख नीला और उसके साथ पीला भी।
विदेशी ब्रह्मिन जो केवल होम हवं और जनेऊ में विश्वास करते है वे प्राणी हत्या , बलि के साथ साथ जानवरो के आंत यानि अतड़ी की जनेऊ पहनते थे वे हिंदुस्तान में आकर कपड़ा पहना ना सीखे और बाद में हमने जो कपास का धागा बनाया उसे जनेऊ कर के अपना लीये पर अब भी जनेऊ गैया काट कर ही निकाला जाता है।
ब्राह्मण धर्म काले विचारो के कारण काला धर्म माना जाता है
नेटिविस्ट डी.डी.राउत
प्रचारक
सत्य हिन्दू धर्म सभा
देश के लिए सन्देश ; जनेऊ छोडो , भारत जोड़ो
नेटिव हिन्दू धर्म का रंग पीला ,सोनेरी , सोने जैसा है पर विदेशी ब्राह्मण धर्म का रंग है काला। विदेशी ब्राह्मण धर्मी आरएसएस का रंग भी सही मायने में और काम के हिसाब से काला ही है।
हिन्दू समाज , हिंदुस्तान , हिन्दू धर्म में पिले रंग का विशेष महत्त्व है। सोना , सोने का रंग , हल्दी का नेचरल रंग पीला ही है यहाँ तक सूर्य के किरणे भी पिली आभा के होते है इस लिए हिन्दू सूर्य उपासक भी है और हल्दी का प्रयोग शुभ या मंगल कार्य में अनिवार्य है। हिन्दू जब शादी करते है तो हल्दी का कार्यक्रम किया जाता है जिस में सभी भाग लेते है। दूल्हे , दुल्हन को शादी के पहले हल्दी लगायी जाती है उन्हें हिन्दू बनाया जाता है। शिव भक्त भी हल्दी का भंडारा यानि माथे पर तिलक लगते है , औरते भी हल्दी और सूखे हल्दी से तैयार कुमकुम का प्रयोग अपने शादी शुदा , ग्रहस्ती होने के कारण कराती है और आने जाने वाली शादीशुदा औरतो को हल्दी कुमकुम लगा कर उनके सौभाग्य की मंगल कामना करती है। साउथ में पीला धागा सौभाग्य का प्रतिक है जो शादीशुदा महिलाये पहनती है और जो महिलाये मंगल सूत्र पहनी है वह भी काम से काम दो सोने के मणि जो पिले होते है जरुरी होता है।
हमारे हिन्दू भाई जब महादेव अर्थात भोले शिवशंकर की यात्रा को जाते है तब भी उनके झोले का रंग पीला ही होता है जिसे खरी कहा जाता है।
पीताम्बर , पिले रंग की धोती खास आयोजन पर हिन्दू पहनते है। कुछ बुद्धिस्ट , जैनी , सिख भी अब उनके रंग के साथ पीला रंग पसंद करते है जिसे बुद्धिस्ट भगवा , जैन सफ़ेद , सिख नीला और उसके साथ पीला भी।
विदेशी ब्रह्मिन जो केवल होम हवं और जनेऊ में विश्वास करते है वे प्राणी हत्या , बलि के साथ साथ जानवरो के आंत यानि अतड़ी की जनेऊ पहनते थे वे हिंदुस्तान में आकर कपड़ा पहना ना सीखे और बाद में हमने जो कपास का धागा बनाया उसे जनेऊ कर के अपना लीये पर अब भी जनेऊ गैया काट कर ही निकाला जाता है।
ब्राह्मण धर्म काले विचारो के कारण काला धर्म माना जाता है
नेटिविस्ट डी.डी.राउत
प्रचारक
सत्य हिन्दू धर्म सभा
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